मंजु "मन" भाषिक मुहावरों से इतर स्वाभाविक और सरल काव्याभिव्यक्ति का एक नाम है। उनके लिए कविता का संदर्श भावों का ऐसा सम्प्रेषण है जो दिल की गहराइयों में उतर कर मनुष्य को मनुष्य बनाता है। वैसे भी भावों की अस्तित्वगत जमीन शब्द होती है। इसलिए भजन हो या प्रार्थना, दोनों में शब्दकारित स्वर होते हैं। उनके 'हाइकु' सतर्क, सजग, सन्नद्ध शब्द चयन के प्रमाण हैं।'आकाशवाणी के अनेक कार्यक्रमों में वे बतौर कवि भी शिरकत कर चुकी हैं। तात्कालिक कविता के अलावा भाषण, निबंध, और अन्य गतिविधियों में भारत सरकार द्वारा अनेक सम्मानों से वे सम्मानित हैं। सरकारी काम-काज तथा घर की जिम्मेदारियों के बाद भी वे अपने इस हुनर को बरकरार रखने में कामयाब साबित हुई हैं।शिक्षा एम.ए. (हिंदी) (प्रावीण्य सूची) प्रथम स्थान।प्रकाशित १. काव्य संग्रह - मन तरंग२. काव्य संग्रह - एक बात और३. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय - व्यक्तित्व एवं कृतित्वशीघ्र प्रकाश्य महिलाओं की पृष्ठभूमि पर आधारित लघु कथाएं।संप्रति राजपत्रित अधिकारी, भारत सरकार, नई दिल्ली।ई मेल mantarang@yahoo.co.in