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Pt. Deendayalji: Prerak Vichar (in Hindi)
Agarwal, Ravindra
Synopsis "Pt. Deendayalji: Prerak Vichar (in Hindi)"
महात्मा गांधी ने भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के संघर्ष के साथ ही देश की सामाजिक स्वतंत्रता और आर्थिक स्वतंत्रता पर गहन चिंतन और मनन प्रारंभ कर दिया था। इस संबंध में उन्होंने अपने आश्रमों में निरंतर प्रयोग किए और उनके परिणामों के आधार पर जन-सामान्य को इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनके सब प्रयोग स्वदेशी संसाधनों व तकनीक पर आधारित थे। उनका मानना था कि स्वदेशी के बल पर ही देश का जनमानस आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार से यह अपेक्षा थी कि वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता के लिए गांधीजी के विचारों को केंद्र में रखकर अपनी नीतियाँ बनाएगी। परंतु दुर्भाग्य से ऐसा हो न सका। स्वतंत्रता के बाद इस विषय पर पं. दीनदयाल उपाध्याय ने गहन चिंतन व मनन कर 'एकात्म मानववाद' का कालजयी आर्थिक दर्शन दिया। उन्होंने समय-समय पर देश के सम्मुख उपस्थित सामाजिक, राजनीतिक व विदेश नीति संबंधी विषयों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उनके इन विचारों को सूत्र रूप में संकलित कर 'पं. दीनदयालजी प्रेरक विचार' पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।